हवन कारने का क्या महत्व है
हम यहां पर हवन के महत्व के वारे में चर्चा करेंगे, हवन करने से गृह कलेश से लेकर आर्थिक तंगी तक होगी दूर होती है।
भारतीय परम्परा में हवन का महत्व प्राचीन काल से बना हुआ है। धार्मिक महत्व होने के साथ ही विज्ञान की दृष्टि से भी इसके कई फायदें हैं। सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान बिना हवन के अधूरा माना जाता है। हवन वातावरण को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। हवन कराने से पवित्रता बनी रहती है। इससे आसपास मौजूद नाकारत्मक ऊर्जा समाप्त होती है। साथ ही वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। हवन कराने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद आपके परिवार पर बना रहता है। हवन करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
हवन करने में किन चीजों का प्रयोग होता है
हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानि कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर जौ, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है। यह सभी चीजें वातावरण को प्रदूषण से मुक्त करती हैं।
हवन करने के लाभ
अगर परिवार में लगातार कलह की स्थिति बनी हुई है तो इससे छुटकारा पाने में हवन बहुत कारगर साबित होता है। हवन होने के बाद इसकी राख को घर के चारों तरफ छिड़क दें। इस से घर में सुख-शांति बनी रहती है। आर्थिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए हवन कराना चाहिए। ऐसे में आप घर में शुभ तिथि में हवन करवाएं। हवन करने के बाद उसकी राख को लाल कपड़े में बांध लें। इसके बाद उसे तिजोरी में या धन रखने वाले स्थान पर रख दें। इससे धन से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही हवन कराने से नजर दोष भी दूर होता है। इससे बुरी शक्तियां आपके घर से दूर रहती हैं।
हवन करने से वैज्ञानिक लाभ क्या हैं
हवन के साथ किसी मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है। साथ ही शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। सुविधानुसार, कोई भी मंत्र बोला जा सकता है। आधे घंटे हवन में बैठा जाए और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते हैं। हवन में अधिकतर आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है आम की लकड़ियों को जलाने से वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है।
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